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मंगलवार, 11 अगस्त 2020

*खड़ा-खड़ी, नेपाल चला चीन की गली *

 *खड़ा-खड़ी, नेपाल चला चीन की गली *

भारत के विदेशमंत्री डॉ. एस जयशंकर ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के इंडिया @75 शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था कि दुनिया महात्मा गाँधी और बुद्ध के विरासत को मानती है और हम इन्हें मानने वाले लोग हैं।

तो 

नेपाल विदेश मंत्री ने कहा बुद्ध नेपाली थे भारत हमारी विरासत अती कर्मण कर रहा है।


तो भारत का सफाई -- विदेश मंत्री एस जयशंकर के भगवान बुद्ध से जुड़े बयान पर रविवार को विदेश मंत्रालय ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि बुद्ध का जन्म लुम्बिनी में हुआ था और वह स्थान नेपाल में है।

    तो हम कहना चाहेंगे अरे भाई आपके यहाँ बुद्ध नहीं सिद्धार्थ हुए थे बुद्ध तो वे हिंदुस्तान में बने तो अधिकार तो हमारा हि हुआ न खैर वे आपके थे अगर आप मानते भी हो तो जहाँ के वे निवासी थे वहाँ के लोगों  का आपने अधिकार सिमित कर दिए दोयम दर्जे का नागरिक बना दिए कुछ तो शर्म करो। कहि आप बुद्ध बुद्ध का गुल खिला कर नेपाल को चीन के हाथ बेचने तो नहीं जा रहे हैं। बुद्ध बुद्ध भाई कह कर नेपाल चीन के हो जाई जैसे हिन्दी चीनी भाई-भाई का नारा दिया उसके बदले में मानसरोवर अरुणाचल लेह का कुछ हिस्सा ले लिया । 






सोमवार, 3 अगस्त 2020

सोचो

*सोचो*

     एक वामपंथी एक देश का प्रधान बनता है। वह उस देश का इतिहास, भूगोल, संस्कृति और विज्ञान बदलने का प्रयास करता है और बदलाव करता भी है। जैसे देश को हिन्दू राष्ट्र से धर्मनिरपेक्ष घोषित करना , श्री राम को अपने देश का बताता है, दूसरे देश का विवादित भूमि को अपनी नक्शा में शामिल करता है। अपना कुछ गाँव तीसरे देश को दान में दे देता है। सीमा क्षेत्र में बने सड़क पुल को अपने लिए आपदा का कारण बताता है।

     वहीं वामपंथी विचार के लोग हिंदुस्तान का इतिहास भूगोल विज्ञान लिखते है । इनके लेखन को हि हिंदुस्तान में पढ़ाया जाता है।

      सोचो आप अपने मस्तिष्क पर दबाव डालो ए हिंदुस्तान के साथ क्या किए होंगे या किए हैं। इन्होंने अपनी लेखनी द्वारा हिंदुस्तान को हरसंभव प्रयास किया है । स्वतंत्रता के बाद सत्ताधारी पार्टी से इनका आपसी सहमती या समझवता हुआ कि आप देश पर शासन करो हमें शिक्षा तंत्र को चलाने दो। जिसके अंतर्गत शिक्षा के सम्पूर्ण इकाईयों में इनका नियुक्ति हुआ इनका संगठन बनाया गया ।

     इन लोगों ने वास्तविक सही ज्ञान विज्ञान और इतिहास को हरसंभव मिटाने का प्रयास किया है। कुछ सही ज्ञान विज्ञान इतिहास भूगोल की जानकारी है। वो अपने एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को  जनश्रुति और कुछ दुर्लभ प्रतिलिपि से प्राप्त होता है।

      ए लोग बहुत हद तक अपने लक्ष्य में कामयाब भी हो रहें हैं। हमारी पीढ़ी अपनी ज्ञान विज्ञान संस्कृति से दूर होती जा रही है। स्वच्छन्दता में पर कर जाने अनजाने नास्तिकता कि और बढ़ रही है।

     अभी भी हमारे पास समय है अपने आप को सम्भालने का और अपना गौरव पुन हासिल करने का।

            सोचो, सोचो, सोचो 


गुरुवार, 11 जून 2020

*मूत्र कि महिमा*


*मूत्र कि महिमा*

मूत्र कि महिमा इसे हम इसका महता के तौर पर कह सकते हैं । इसे हम विभिन्न नाम से जानते हैं । जैसे युरिन (Urine) पेसाब आदि । मूत्र जाँच के द्वारा उस में पाये जाने तत्वों द्वारा विभिन्न प्रकार के रोगों का पता चलता है । मूत्र में विभिन्न औषधि  गुण पाया जाता है । आज भी कुछ लोग इसे ऐन्टीसेपटी कि तरह इस्तेमाल करते हैं जब कट जाता है तो उस पर अपने मूत्र का त्याग करते हैं । अपना कान बहने में भी कहीं कहीं इस्तेमाल करते हैं । गाय का मूत्र का कहना हि क्या इससे विभिन्न रोगों के यहाँ तक कि केन्सर के ईलाज के लिए भी औषधि बनाते हैं । आपको यहाँ बताते चले कि गऊ मूत्र में देशी गाय इस्तेमाल होता है । अरब के लोग ऊँट का मूत्र को भी पीते हैं उसका कारण वहीं बता सकते हैं ।

        एसा सुनने में आता है कि बहुत सारे धार्मिक गुरु किसी को अपना चेला बनाने के लिए भी उसका सर का मुंडन अपने मूत्र से कराते हैं । अघोड़ी लोग भी स्वयं का मूत्र का पान करते हैं ।

        ए सब स्थिति परिस्थिति के बाद आपको एक सच्ची घटना का आपके सामने लाने का प्रयाश करता हूँ । बात 90 कि दशक कि है बिहार में उस समय एक नेता हुआ करते थे झूले लाल । उनका सत्ता और लोगों पर अच्छी पकड़ थी । वे समय-समय पर भोज और अन्य प्रकार का आयोजन करते रहते थे जिसमे उनके कार्यकर्ता और अन्य लोग सामील होते रहते थे । एसे झूले लाल का परिवार लंबी चौरी थी । उनका यहाँ चर्चा करना जरूरी नहीं समझता । उनके दो लड़के थे इशू प्रताप और विषु प्रताप दोनों में कई प्रकार कि उदंडता विधिमान थी । जो आगे चलकर लोगों पर रौब के रूप में इस्तेमाल करने लगे खैर उनका इन सब बातों का इस कहानी या लेख में चर्चा करने का कोई औचित्य नहीं है ।

       उसी समय काल में झूले लाल ने अपने लोगों के लिए भोज का आयोजन किया था । उनके सरकारी निवास पर लोगों कि हुजूम लगी हुई थी। उसमे गाँव पंचायत के मुख्य मुख्य लोग आए हुए थे । कुछ लोग व्यवस्था बनाने में भी अंदर बाहर कार्य कर रहें थे । उसी समय कुछ लोग आपसी सहमति से बोले चलो देखते हैं भंडार में क्या-क्या बन गया है भूख लग रही है । जब वे अंदर गए तो वे देख रहें हैं कि झूले लाल के दोनों लड़के इशू प्रताप और विषु प्रताप वहाँ पहले से हि उपस्थित हैं । उनके हरकत देख अब इन लोगों से कुछ कहा नहीं जा रहा था। एक पीछे वाला व्यक्ति बोला क्या हुआ देखा तो वो भी पर उसे विश्वास नहीं हो रहा था । दूसरे ने तुमने नहीं देखा क्या ? तो ओ बोला देखा तो क्या अंदर में हि कर रहा था ? तीसरा बोला तब क्या ? चौथा बोला क्या इस बात को झूले लाल जी को बताया जाए  बताने कि बात पर सहमति नहीं बन पाई । उनमे से कुछ लोग एक दूसरे को बता कर वहाँ  से निकलने  का प्रयास करने लगे इससे कुछ और लोग जान गाए । पर बात वहीं दबा दी गई या दब गई जो जान गए उसमे से कुछ बहाना बना कर निकल गए कुछ जो विशेष चापलुष थे वहीं रुके कुछ ने खाया कुछ नहीं खा पाये और लोगों ने जम कर आनंद लिया ।

        आज दोनों इशू प्रताप और विषु प्रताप भी नेता गिरी कर रहें है । लोगों का नेतागिरी करने का कई कारण हैं यहाँ सब कुछ प्राप्त होता है । इन्हे तो बना बनाया विराशत मिल गया है । ए कहीं सफल नहीं हो पाये तो यही सफल होने में लगे हैं।
   
      आज जो मैं देख रहा हूँ उसमें से बहुत लोगो का पीढ़ी नेतागिरी कर रही है उसी स्तर पर जिस स्तर पर वे कर रहें थे और जो आज भी उस भोज को खाने वाले हैं झूले लाल के परिवार के प्रति सहानुभूति रखते हैं ।

        अब मैं आपको यहाँ भंडारा के अंदर वाली घटना बताना चाहूँगा कि उस समय इशू प्रताप और विषु प्रताप वहाँ क्या कर रहा था । बैगर उस घटना के उजागर हुए सारी बात स्पष्ट हो नहीं पाएगी । उस समय झूले लाल के लड़के भंडारे में हि मूत्र त्याग कर रहे थे ।
         हमें यह घटना उन्हीं लोगों में से एक ने सुनाया था । अब आप सोच रहें होंगे कि सब ठीक है पर यह घटना को हमने आप सभी के साथ साझा क्यों किया । इसका कारण है कि झूले लाल के लड़कों को सारी सुविधा मिला फिर भी कहीं सफल न हो सके । उन्मे एसा कोई गुण नहीं जिसके लिए उन्हे जाना जाए सिर्फ कि वे झूले लाल के लड़के हैं । पर क्या मूत्र में एसा कोई गुण है जो लोगों को पीढ़ी दर पीढ़ी गुलाम बना सके । यह प्रश्न विचारनिए हैं । क्या आज जो लोग झूले लाल के लड़के में अपना नेता ढूंढ रहे हैं क्या वह उस मूत्र का प्रभाव है या जातिवाद ,वंशवाद या लोगों कि गुलाम मानसिकता का सूचक है ।

       इस पर हम आपका राय जानना चाहेंगे साथ में अगर कोई उस घटना का साक्षी हो या जनता हो तो उनका पुष्टि । तब तक के लिए आप सभी को नमन ।  




रविवार, 10 नवंबर 2019

* छठ पूजा के साथ सनातनी सोच *

छठ पूजा की हार्दिक शुभकामनाएँ के साथ सभी वर्ती को नरेन्द्र कुमार का नमन🌹🙏🌹
     

  साथ में 

एक वैचारिक लेख 

* छठ पूजा के साथ सनातनी सोच *


छठी पूजा आज लगभग पूरे विश्व में श्रद्धा के साथ मनाई जाती है । बिहार, उत्तर प्रदेश में खास तौर पर जिस गाँव घर में वर्ष भर मंगल रहती है वहाँ यह अवश्य ही मनाई जाती है । इसके साथ लोगों की अध्यात्मिक दर्शन ज्ञान वैज्ञानिक दृष्टिकोण जुड़ा हुआ है । इसके संबंधित अनेक लोककथा प्रचलित । इसकी पवित्रता और अध्यात्मिक सत्यता पर संदेह नहीं किया जा सकता । हमारे यहाँ इसे इस्लाम सम्प्रदाय के कुछ परिवार भी इसे मनाते हैं ।  कुछ सम्प्रदायसम्प्रदायीक लोगों के विरोध के कारण इन लोगों ने मनाने का तरीका में कुछ विशेष व्यवस्था  किया है । 


                 ईस में चार दिन का अनुष्ठान होता 1. नहाय खा  2. लोहर  या  खरना 3. सूर्य को संध्या प्रथम अर्ध 4. सूर्य को प्रातः दूसरी अर्ध तदुपरांत पारन । यह एक समरसता का पर्व है । इसे करने और कराने दोनों का अपना ही महत्व है । 

                                देव सूर्य मंदिर को शायद आप जानते हो ,  इस मंदिर में प्रवेश द्वार पहले पूर्व की ओर से था । मुगल काल में उस  मंदिर तोड़ने के लिए मुगल लोग गए तो वहाँ के पुजारी और आम जनता उसे बचाने के लिए उसकी महिमा का गूण गान किए  तर्क दिए तो मुगलों ने एक शर्त रखा , ओ बोलें हम आज जा रहे हैं कल आयेंगे अगर मंदिर का मुख्य द्वार पश्चिम की ओर हो जाएगा तो इसे छोड़ दिया जाएगा  और आप देख सकते हैं कि मंदिर का द्वार पश्चिम की ओर है ।

     
                       इस पर्व में सूर्य को अर्ध जल स्रोत के पास फल से और अन्य पोस्टिक पदार्थ से दिया  जाता है । इस पर्व का एक कारण वर्षा और बाढ़ से जो जल स्रोतों को छती हुई होती है और लोगों के आहार विहार जो कमी कसर हो जाती है उसे पूर्ण करना भी है । 


रविवार, 20 अक्तूबर 2019

* सनातनीयों के खिलाफ़ शाम दाम दण्ड भेद की सड़यंत्र *

* सनातनीयों के खिलाफ़ शाम दाम दण्ड भेद की सड़यंत्र *


जो जन्म से हो कर्म से बंधा हुआ हो सभी का कल्याण चाहता हो उसी को सिर्फ धर्म कहलाने का हक है और सभी सम्प्रदाय या धर्म का एक अंश भर कह सकते हैं । ए सारी खूबियाँ सनातन धर्म में छोड़ कहीं नहीं पाई जाती है। यहीं कालांतर में हिन्दू धर्म कहलाया जो आप जानते ही हैं साथ में आपको विदित हि होगा की यह धर्म कहाँ तक था जो समय के साथ संकुचित होता गया । आज इसके अनुआई अपने आप में ही संकुचित होते जा रहें हैं । जो विश्व कल्याण के लिए अच्छा नहीं है ।जब कलयुग का शुरुआत हुआ समय अपना प्रभाव दिखाने लगी सनातनी कमजोर होने लगे और सम्प्रदाय जोड़ लगाने लगे ।

अगर पौराणिक कथाओं को छोड़ भी दें अगर यहाँ वेद उपनिषद का भी चर्चा न करें तो भी , अगर आपको जो विदेशी शिक्षाविदो द्वारा जो  पढ़ाया गया है जो आपके मन मस्तिक में रच बस गया है । वहाँ से भी देखें तो सनातन धर्म के खिलाफ शाम दाम दण्ड भेद की नीति का प्रयोग किया जा रहा है ।

चंद्रगुप्त और सेलुकस का युद्ध आपको मालूम ही है । ईस युद्ध में चंद्रगुप्त विजय हुए अगर वे हार जाते तो परिणाम का आप कलपना नहीं कर सकते । ए शाम नीति था । पृथ्वीराज चौहान सत्रह बार जिते और एक बार हारे परिणाम आपको विदित है ।

           कालांतर में यहाँ मुगलों और अन्ग्रेज का शासन रहा जिसमें सनातनीयों पर अनेक प्रकार के कर लगाए गए । मिसनरियों और सुफियो के द्वारा दाम के माध्यम से इन्हे रूपांतरण करने का प्रयास जारी रहा । आज भी मिसनरियों के द्वारा दुर्गम क्षेत्र, बनवासी क्षेत्र में सेवा के नाम पर लोभ प्रलोभन देकर जारी है । जो विशेष संस्कृति, रीति-रिवाजों के लोग और क्षेत्र हैं, वहाँ यह खेल धरेले से आज भी जारी है ।

दण्ड और तलवार नीति का इस्तेमाल इतना कठोर रूप से किया गया की अगर कोई सनातनी छोड़ कोई और होता तो उनका समूल नाश हो गया होता ।  इतिहास में इसका 100- 200 नहीं हजारों उदाहरण हैं । गुरु गोविंद सिंह जी के लड़के को जिन्दा दिवाल में चुनवा दिया गया । बन्दा वैरागी के शरीर से मांस गर्म लोहा से नोच लिया गया पृथ्वी राज चौहान की बेटी को अपना धर्म नहीं छोड़ने पर चिस्ती के कहने पर मुगल सैनिकों के सामने नंगा नोचने के लिए फेंक दिया गया था ।

आज भी सनातनियों और अन्य लोगों की सहायता से यह कार्य जारी है । आज इसमें कई गैर सरकारी संगठन, जाति और धर्म के नाम पर बने संगठन यहाँ तक की कई साहित्यिक संस्था के नाम भी ईस में सामिल है ।इसे हम इनके भेद नीति के अंतर्गत कह सकते हैं ।सनातनी  कोमल हृदय विश्व कूटुम्भकम में विश्वास रखते हैं । आज यहीं गुण इनके विनाश का कारण बनती जा रही है । आप साईं ट्रस्ट,  भीम सेना इत्यादि के गतिविधियों को बारीकी से अध्ययन करेंगे जांचेंगे पारखी नज़र से देखेंगे तो सभी चीजें आपको स्पष्ट हो जायेगी । साईं ट्रस्ट बनाने में इसके प्रचार प्रसार हेतु सहयोग करने राशि इकट्ठा करने वाले और राशि देनें वाले का चार्ट बनाये सारी कहानियाँ आपको समझ आ जाएगी । एक बात पर आपका
 चाहता हूँ । जितनी भी साईं मन्दिर बनी सभी सनातनी हिन्दू मन्दिर के बगल में ही बनी पहले छोटा फिर धीरे-धीरे बगल वाली मन्दिर से बड़ी हो गई , सभी का नाम भी बगल वाली या किसी हिन्दू देवी देवताओं के साथ जोड़ा गया है। मन्दिर के अन्दर देवी देवताओं का मूर्ति छोटा होता गया और साईं का मूर्ति  बड़ा होता गया और अब तो कई जगहों से देवी देवताओं का मूर्ति गायब भी की जा चुकी हैं । यह सनातन धर्म और संस्कृति को नुकसान पहुँचाने के लिए बहुत बड़ा सड़यंत्र है । जिसमें ए लोग कामयाबी भी हासिल कर रहे हैं ।

          भीम सेना का नाम आपने सुना होगा अभी यह संस्था सुर्खियों में है जिसके कई कारण हैं । इसे बनाने वाले और धन मुहाईया कराने वाले पर ध्यान दिया जाय तो आपको इनकी चालाकी समझ आ जायेगी । अगर हम अम्बेडकर साहब के अंतिम समय का कथन को ध्यान दे तो उनके दूरदर्शिता को मानना पड़ेगा जिसका उन्हें डर था वहीं हो रहा है । अगर यह सेना पिछड़े वर्ग के लोगों के उत्थान के लिए है तो बहुत अच्छी बात है पर एसा नहीं है ।यह संस्था पूर्ण रूप से अलग क्षेत्र में कार्य कर रहा है । लोगों को अपने संस्कृति और धर्म के प्रति हिन भावना को बढ़ाना । इनके पूजा पद्धति खान-पान, शादी-ब्याह के तौर तरीकों में परिवर्तन लाना ।गैर कानूनी और असंवैधानिक गतिविधि को बढ़ावा देना । एसे सम्प्रदाय को बढ़ावा देना जो आज पूरे विश्व में आतंक का प्राय है । जिसे बौद्ध के देश में छोड़ दे तो भी बौद्ध बहुल देशों में भी हे दृष्टि से देखा जा रहा है ।

        सनातनीयों को आज यह विदित होनी चाहिए की उन्हें येन केन प्रकारेण  नष्ट करने उनके संस्कृति को क्षति पहुँचाने का उनके  कृति को नष्ट करने का प्रयास वर्षों से आ रहा है । उनके साहित्य, ग्रंथों, प्रमाणों में छेड़छाड किया गया ।उनके ज्ञान विज्ञान को नष्ट करने के लिए नालंदा विश्वविद्यालय को जलाया गया । लौह उत्पादन और रेशम उत्पादन तथा वैदिक खान पान और चिकित्सा पद्धति को नष्ट किया गया ।


        अभी भी समय है आपके लिए अपने आप को बचाने का जागरूक होइये और अपनो को जागरूक किजीए ।
🌹🙏नरेन्द्र कुमार 🙏🌹 क्षमा प्रार्थना के साथ 🌹🙏

सोमवार, 15 मई 2017

ड्रैगन 🐲 का आग 🔥में झुलसेंगे पड़ोसी जलेगा पाक

ड्रैगन 🐲 का आग 🔥में झुलसेंगे पड़ोसी जलेगा पाक

आप सभी को विदित है , डैगन आग उगलता है। ऐसे जीवन में आग का बहुत महत्व है जीवन को बढ़ाने और सुविधा जन बनाने के लिए आग का महत्वपूर्ण स्थान है। बिन आग का जीवन का कल्पना नहीं कर सकते हैं। वह अंदर का आग हो या बाहर का।
                 हम यहाँ दूसरे आग को छोड़ 🐲  का आग का चर्चा करना चाहेंगे। जो चाइना से सम्बन्धित है। चाइना के अन्दर ड्रैगन का आग जल रहा है। यह आग आवश्यकता पूर्ति विकाश तक तो ठिक है। पर अब यह आग उसके तृष्णा, स्वार्थ, साम्राज्यवाद,तुष्टीकरण में तबदील हो चुका है। जो अपने पड़ोसियों को आने वाले समय में बुरी तरह झुलसा कर रख देगा। यह अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए बुरे विचार धारा के आग को अपने सुविधा अनुसार हवा दे रहा है। एक तरफ नाम, पोशाक पर प्रतिबंध लगा रहा है तो दूसरे तरफ नफरत, डर, अमानुषता फैलाने वाले को संरक्षण प्रदान कर रहा है, जो इसके बुरे आग का प्रतीक है। वह विकाश के नाम पर कुछ एक को मदद कर रहा है जो बहुत ही सुन्दर बात है, पर यहाँ भी उसका उन्हें जलाने वाली भावना कार्य कर रही है। वह किसी को ऐसे मदद या सहयोग नहीं कर रहा, जिस से आम नागरिक का सुविधा बढ़े उनका जीवन स्तर उच्च हो। आप इसके योजनाओं का अध्ययन करेंगे तो पाएंगे की इन योजनाओं से वह अपना उपस्थिति दर्ज कर रहा है,  जिस में उसकी सैन्य विस्तार है जो उसके विस्तार वादी नीति का सुचक है। वह ऐसा साधन विकाश कर रहा है, जिस से वह वहाँ अपनी सैन्य तैनाती आसानी से कर सके साथ में वह जिन्हें मदद कर रहा है, उन्हें कर्ज के कुचक्र में फसाते जा रहा है। इस कुचक्र में फसने के बाद इन देशों का वास्तवित विकाश रूक जाएगा और वे इसके उपनिवेश बनने पर मजबूर हो जाएंगे। इन्हें समय रहते सचेत और चिंतन शिल होने की आवश्यकता है। ड्रैगन के आग को नियंत्रण करने की आवश्यकता है। इस प्रकार सिद्ध है की ड्रैगन का आग में जलेंगे कुछ हिस्से जिस में न बचेगा कोयला न बचेगा राख।

मंगलवार, 7 फ़रवरी 2017

* चाइना चालाक है *

       * चाइना  चालाक है *

आप मानो या न मानो चाइना और चाईनीज हम से चालाक हैं। वहाँ के लोग और सरकार हमारे व्यवहार, हमारी आदत और हमारी हर पहलू का बारीकी से अध्ययन करते हैं। उसके बाद उसे वे अपने लाभ को देखते हुए उत्पादन करते हैं। तभी तो आप देख सकते हैं की चाइना उत्पाद आज हमारे हर पहलू में प्रवेश कर गई है। वहाँ की सरकार और लोगों का यहाँ के धर्म, सम्प्रदाय के लिए न कोई लगाव है न मान सम्मान फिर भी उनके उत्पाद के बिना ऐसा लग रहा है की यहाँ की धर्म और सम्प्रदाय चलेगा ही नहीं। यहाँ के लोगों का व्यवहार और उनके उत्पाद ऐसा सिद्ध कर रहें हैं।

         अब वे यहाँ के लोगों का ईश्वर पर ज्यादा भरोसा, ज्योतिष पर विश्वास, भाग्यवादी होने का पूर्ण लाभ भी उठाना शुरु कर दिया है। फेंक सुई का बकवास टोटका यहाँ सभी लोगों का सर चढ़ कर बोल रहा है। जो पूर्ण रुपेन प्रचार और व्यापार पर आधारित है।

         वर्तमान में चाइना यहाँ के लोगों का दूसरे पहलू का अध्ययन किया है। वह है मनोरंजन का आदत। वह समझता है यहाँ के लोगों के पास बेकार के समय बहुत है। ऐ काम कम और उम्मीद ज्यादा रखते हैं। ऐ मनोरंजन के लिए उलटें-सुलटें विडियो और फिल्म देखना पसंद करते हैं। इस को देखते हुए उसने क्षेत्र में कदम रख दिया है। उसके उलटें – सुलटें फिल्म और विडियो को लोग खुब देख रहें हैं और दिखा रहें हैं। यह सब उसके व्यावसायिक मस्तिष्क का उपज है।

         वह हमारे हर क्षेत्र में कमाईं का स्रोत ढूंढ लेता है और हम उसके आमद का स्रोत और संसाधन बन जाते हैं । वह उस पैसें को फिर हमारे खिलाफ ही इस्तेमाल करता है। इससे सिद्ध होता है कि हम महामूर्ख है या चाइना चालाक है ।
नरेन्द्र कुमार
मगसम२६३६/२०१६👏