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रविवार, 10 नवंबर 2019

* छठ पूजा के साथ सनातनी सोच *

छठ पूजा की हार्दिक शुभकामनाएँ के साथ सभी वर्ती को नरेन्द्र कुमार का नमन🌹🙏🌹
     

  साथ में 

एक वैचारिक लेख 

* छठ पूजा के साथ सनातनी सोच *


छठी पूजा आज लगभग पूरे विश्व में श्रद्धा के साथ मनाई जाती है । बिहार, उत्तर प्रदेश में खास तौर पर जिस गाँव घर में वर्ष भर मंगल रहती है वहाँ यह अवश्य ही मनाई जाती है । इसके साथ लोगों की अध्यात्मिक दर्शन ज्ञान वैज्ञानिक दृष्टिकोण जुड़ा हुआ है । इसके संबंधित अनेक लोककथा प्रचलित । इसकी पवित्रता और अध्यात्मिक सत्यता पर संदेह नहीं किया जा सकता । हमारे यहाँ इसे इस्लाम सम्प्रदाय के कुछ परिवार भी इसे मनाते हैं ।  कुछ सम्प्रदायसम्प्रदायीक लोगों के विरोध के कारण इन लोगों ने मनाने का तरीका में कुछ विशेष व्यवस्था  किया है । 


                 ईस में चार दिन का अनुष्ठान होता 1. नहाय खा  2. लोहर  या  खरना 3. सूर्य को संध्या प्रथम अर्ध 4. सूर्य को प्रातः दूसरी अर्ध तदुपरांत पारन । यह एक समरसता का पर्व है । इसे करने और कराने दोनों का अपना ही महत्व है । 

                                देव सूर्य मंदिर को शायद आप जानते हो ,  इस मंदिर में प्रवेश द्वार पहले पूर्व की ओर से था । मुगल काल में उस  मंदिर तोड़ने के लिए मुगल लोग गए तो वहाँ के पुजारी और आम जनता उसे बचाने के लिए उसकी महिमा का गूण गान किए  तर्क दिए तो मुगलों ने एक शर्त रखा , ओ बोलें हम आज जा रहे हैं कल आयेंगे अगर मंदिर का मुख्य द्वार पश्चिम की ओर हो जाएगा तो इसे छोड़ दिया जाएगा  और आप देख सकते हैं कि मंदिर का द्वार पश्चिम की ओर है ।

     
                       इस पर्व में सूर्य को अर्ध जल स्रोत के पास फल से और अन्य पोस्टिक पदार्थ से दिया  जाता है । इस पर्व का एक कारण वर्षा और बाढ़ से जो जल स्रोतों को छती हुई होती है और लोगों के आहार विहार जो कमी कसर हो जाती है उसे पूर्ण करना भी है । 


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