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रविवार, 20 अक्तूबर 2019

* सनातनीयों के खिलाफ़ शाम दाम दण्ड भेद की सड़यंत्र *

* सनातनीयों के खिलाफ़ शाम दाम दण्ड भेद की सड़यंत्र *


जो जन्म से हो कर्म से बंधा हुआ हो सभी का कल्याण चाहता हो उसी को सिर्फ धर्म कहलाने का हक है और सभी सम्प्रदाय या धर्म का एक अंश भर कह सकते हैं । ए सारी खूबियाँ सनातन धर्म में छोड़ कहीं नहीं पाई जाती है। यहीं कालांतर में हिन्दू धर्म कहलाया जो आप जानते ही हैं साथ में आपको विदित हि होगा की यह धर्म कहाँ तक था जो समय के साथ संकुचित होता गया । आज इसके अनुआई अपने आप में ही संकुचित होते जा रहें हैं । जो विश्व कल्याण के लिए अच्छा नहीं है ।जब कलयुग का शुरुआत हुआ समय अपना प्रभाव दिखाने लगी सनातनी कमजोर होने लगे और सम्प्रदाय जोड़ लगाने लगे ।

अगर पौराणिक कथाओं को छोड़ भी दें अगर यहाँ वेद उपनिषद का भी चर्चा न करें तो भी , अगर आपको जो विदेशी शिक्षाविदो द्वारा जो  पढ़ाया गया है जो आपके मन मस्तिक में रच बस गया है । वहाँ से भी देखें तो सनातन धर्म के खिलाफ शाम दाम दण्ड भेद की नीति का प्रयोग किया जा रहा है ।

चंद्रगुप्त और सेलुकस का युद्ध आपको मालूम ही है । ईस युद्ध में चंद्रगुप्त विजय हुए अगर वे हार जाते तो परिणाम का आप कलपना नहीं कर सकते । ए शाम नीति था । पृथ्वीराज चौहान सत्रह बार जिते और एक बार हारे परिणाम आपको विदित है ।

           कालांतर में यहाँ मुगलों और अन्ग्रेज का शासन रहा जिसमें सनातनीयों पर अनेक प्रकार के कर लगाए गए । मिसनरियों और सुफियो के द्वारा दाम के माध्यम से इन्हे रूपांतरण करने का प्रयास जारी रहा । आज भी मिसनरियों के द्वारा दुर्गम क्षेत्र, बनवासी क्षेत्र में सेवा के नाम पर लोभ प्रलोभन देकर जारी है । जो विशेष संस्कृति, रीति-रिवाजों के लोग और क्षेत्र हैं, वहाँ यह खेल धरेले से आज भी जारी है ।

दण्ड और तलवार नीति का इस्तेमाल इतना कठोर रूप से किया गया की अगर कोई सनातनी छोड़ कोई और होता तो उनका समूल नाश हो गया होता ।  इतिहास में इसका 100- 200 नहीं हजारों उदाहरण हैं । गुरु गोविंद सिंह जी के लड़के को जिन्दा दिवाल में चुनवा दिया गया । बन्दा वैरागी के शरीर से मांस गर्म लोहा से नोच लिया गया पृथ्वी राज चौहान की बेटी को अपना धर्म नहीं छोड़ने पर चिस्ती के कहने पर मुगल सैनिकों के सामने नंगा नोचने के लिए फेंक दिया गया था ।

आज भी सनातनियों और अन्य लोगों की सहायता से यह कार्य जारी है । आज इसमें कई गैर सरकारी संगठन, जाति और धर्म के नाम पर बने संगठन यहाँ तक की कई साहित्यिक संस्था के नाम भी ईस में सामिल है ।इसे हम इनके भेद नीति के अंतर्गत कह सकते हैं ।सनातनी  कोमल हृदय विश्व कूटुम्भकम में विश्वास रखते हैं । आज यहीं गुण इनके विनाश का कारण बनती जा रही है । आप साईं ट्रस्ट,  भीम सेना इत्यादि के गतिविधियों को बारीकी से अध्ययन करेंगे जांचेंगे पारखी नज़र से देखेंगे तो सभी चीजें आपको स्पष्ट हो जायेगी । साईं ट्रस्ट बनाने में इसके प्रचार प्रसार हेतु सहयोग करने राशि इकट्ठा करने वाले और राशि देनें वाले का चार्ट बनाये सारी कहानियाँ आपको समझ आ जाएगी । एक बात पर आपका
 चाहता हूँ । जितनी भी साईं मन्दिर बनी सभी सनातनी हिन्दू मन्दिर के बगल में ही बनी पहले छोटा फिर धीरे-धीरे बगल वाली मन्दिर से बड़ी हो गई , सभी का नाम भी बगल वाली या किसी हिन्दू देवी देवताओं के साथ जोड़ा गया है। मन्दिर के अन्दर देवी देवताओं का मूर्ति छोटा होता गया और साईं का मूर्ति  बड़ा होता गया और अब तो कई जगहों से देवी देवताओं का मूर्ति गायब भी की जा चुकी हैं । यह सनातन धर्म और संस्कृति को नुकसान पहुँचाने के लिए बहुत बड़ा सड़यंत्र है । जिसमें ए लोग कामयाबी भी हासिल कर रहे हैं ।

          भीम सेना का नाम आपने सुना होगा अभी यह संस्था सुर्खियों में है जिसके कई कारण हैं । इसे बनाने वाले और धन मुहाईया कराने वाले पर ध्यान दिया जाय तो आपको इनकी चालाकी समझ आ जायेगी । अगर हम अम्बेडकर साहब के अंतिम समय का कथन को ध्यान दे तो उनके दूरदर्शिता को मानना पड़ेगा जिसका उन्हें डर था वहीं हो रहा है । अगर यह सेना पिछड़े वर्ग के लोगों के उत्थान के लिए है तो बहुत अच्छी बात है पर एसा नहीं है ।यह संस्था पूर्ण रूप से अलग क्षेत्र में कार्य कर रहा है । लोगों को अपने संस्कृति और धर्म के प्रति हिन भावना को बढ़ाना । इनके पूजा पद्धति खान-पान, शादी-ब्याह के तौर तरीकों में परिवर्तन लाना ।गैर कानूनी और असंवैधानिक गतिविधि को बढ़ावा देना । एसे सम्प्रदाय को बढ़ावा देना जो आज पूरे विश्व में आतंक का प्राय है । जिसे बौद्ध के देश में छोड़ दे तो भी बौद्ध बहुल देशों में भी हे दृष्टि से देखा जा रहा है ।

        सनातनीयों को आज यह विदित होनी चाहिए की उन्हें येन केन प्रकारेण  नष्ट करने उनके संस्कृति को क्षति पहुँचाने का उनके  कृति को नष्ट करने का प्रयास वर्षों से आ रहा है । उनके साहित्य, ग्रंथों, प्रमाणों में छेड़छाड किया गया ।उनके ज्ञान विज्ञान को नष्ट करने के लिए नालंदा विश्वविद्यालय को जलाया गया । लौह उत्पादन और रेशम उत्पादन तथा वैदिक खान पान और चिकित्सा पद्धति को नष्ट किया गया ।


        अभी भी समय है आपके लिए अपने आप को बचाने का जागरूक होइये और अपनो को जागरूक किजीए ।
🌹🙏नरेन्द्र कुमार 🙏🌹 क्षमा प्रार्थना के साथ 🌹🙏