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सोमवार, 3 अगस्त 2020

सोचो

*सोचो*

     एक वामपंथी एक देश का प्रधान बनता है। वह उस देश का इतिहास, भूगोल, संस्कृति और विज्ञान बदलने का प्रयास करता है और बदलाव करता भी है। जैसे देश को हिन्दू राष्ट्र से धर्मनिरपेक्ष घोषित करना , श्री राम को अपने देश का बताता है, दूसरे देश का विवादित भूमि को अपनी नक्शा में शामिल करता है। अपना कुछ गाँव तीसरे देश को दान में दे देता है। सीमा क्षेत्र में बने सड़क पुल को अपने लिए आपदा का कारण बताता है।

     वहीं वामपंथी विचार के लोग हिंदुस्तान का इतिहास भूगोल विज्ञान लिखते है । इनके लेखन को हि हिंदुस्तान में पढ़ाया जाता है।

      सोचो आप अपने मस्तिष्क पर दबाव डालो ए हिंदुस्तान के साथ क्या किए होंगे या किए हैं। इन्होंने अपनी लेखनी द्वारा हिंदुस्तान को हरसंभव प्रयास किया है । स्वतंत्रता के बाद सत्ताधारी पार्टी से इनका आपसी सहमती या समझवता हुआ कि आप देश पर शासन करो हमें शिक्षा तंत्र को चलाने दो। जिसके अंतर्गत शिक्षा के सम्पूर्ण इकाईयों में इनका नियुक्ति हुआ इनका संगठन बनाया गया ।

     इन लोगों ने वास्तविक सही ज्ञान विज्ञान और इतिहास को हरसंभव मिटाने का प्रयास किया है। कुछ सही ज्ञान विज्ञान इतिहास भूगोल की जानकारी है। वो अपने एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को  जनश्रुति और कुछ दुर्लभ प्रतिलिपि से प्राप्त होता है।

      ए लोग बहुत हद तक अपने लक्ष्य में कामयाब भी हो रहें हैं। हमारी पीढ़ी अपनी ज्ञान विज्ञान संस्कृति से दूर होती जा रही है। स्वच्छन्दता में पर कर जाने अनजाने नास्तिकता कि और बढ़ रही है।

     अभी भी हमारे पास समय है अपने आप को सम्भालने का और अपना गौरव पुन हासिल करने का।

            सोचो, सोचो, सोचो