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गुरुवार, 11 जून 2020

*मूत्र कि महिमा*


*मूत्र कि महिमा*

मूत्र कि महिमा इसे हम इसका महता के तौर पर कह सकते हैं । इसे हम विभिन्न नाम से जानते हैं । जैसे युरिन (Urine) पेसाब आदि । मूत्र जाँच के द्वारा उस में पाये जाने तत्वों द्वारा विभिन्न प्रकार के रोगों का पता चलता है । मूत्र में विभिन्न औषधि  गुण पाया जाता है । आज भी कुछ लोग इसे ऐन्टीसेपटी कि तरह इस्तेमाल करते हैं जब कट जाता है तो उस पर अपने मूत्र का त्याग करते हैं । अपना कान बहने में भी कहीं कहीं इस्तेमाल करते हैं । गाय का मूत्र का कहना हि क्या इससे विभिन्न रोगों के यहाँ तक कि केन्सर के ईलाज के लिए भी औषधि बनाते हैं । आपको यहाँ बताते चले कि गऊ मूत्र में देशी गाय इस्तेमाल होता है । अरब के लोग ऊँट का मूत्र को भी पीते हैं उसका कारण वहीं बता सकते हैं ।

        एसा सुनने में आता है कि बहुत सारे धार्मिक गुरु किसी को अपना चेला बनाने के लिए भी उसका सर का मुंडन अपने मूत्र से कराते हैं । अघोड़ी लोग भी स्वयं का मूत्र का पान करते हैं ।

        ए सब स्थिति परिस्थिति के बाद आपको एक सच्ची घटना का आपके सामने लाने का प्रयाश करता हूँ । बात 90 कि दशक कि है बिहार में उस समय एक नेता हुआ करते थे झूले लाल । उनका सत्ता और लोगों पर अच्छी पकड़ थी । वे समय-समय पर भोज और अन्य प्रकार का आयोजन करते रहते थे जिसमे उनके कार्यकर्ता और अन्य लोग सामील होते रहते थे । एसे झूले लाल का परिवार लंबी चौरी थी । उनका यहाँ चर्चा करना जरूरी नहीं समझता । उनके दो लड़के थे इशू प्रताप और विषु प्रताप दोनों में कई प्रकार कि उदंडता विधिमान थी । जो आगे चलकर लोगों पर रौब के रूप में इस्तेमाल करने लगे खैर उनका इन सब बातों का इस कहानी या लेख में चर्चा करने का कोई औचित्य नहीं है ।

       उसी समय काल में झूले लाल ने अपने लोगों के लिए भोज का आयोजन किया था । उनके सरकारी निवास पर लोगों कि हुजूम लगी हुई थी। उसमे गाँव पंचायत के मुख्य मुख्य लोग आए हुए थे । कुछ लोग व्यवस्था बनाने में भी अंदर बाहर कार्य कर रहें थे । उसी समय कुछ लोग आपसी सहमति से बोले चलो देखते हैं भंडार में क्या-क्या बन गया है भूख लग रही है । जब वे अंदर गए तो वे देख रहें हैं कि झूले लाल के दोनों लड़के इशू प्रताप और विषु प्रताप वहाँ पहले से हि उपस्थित हैं । उनके हरकत देख अब इन लोगों से कुछ कहा नहीं जा रहा था। एक पीछे वाला व्यक्ति बोला क्या हुआ देखा तो वो भी पर उसे विश्वास नहीं हो रहा था । दूसरे ने तुमने नहीं देखा क्या ? तो ओ बोला देखा तो क्या अंदर में हि कर रहा था ? तीसरा बोला तब क्या ? चौथा बोला क्या इस बात को झूले लाल जी को बताया जाए  बताने कि बात पर सहमति नहीं बन पाई । उनमे से कुछ लोग एक दूसरे को बता कर वहाँ  से निकलने  का प्रयास करने लगे इससे कुछ और लोग जान गाए । पर बात वहीं दबा दी गई या दब गई जो जान गए उसमे से कुछ बहाना बना कर निकल गए कुछ जो विशेष चापलुष थे वहीं रुके कुछ ने खाया कुछ नहीं खा पाये और लोगों ने जम कर आनंद लिया ।

        आज दोनों इशू प्रताप और विषु प्रताप भी नेता गिरी कर रहें है । लोगों का नेतागिरी करने का कई कारण हैं यहाँ सब कुछ प्राप्त होता है । इन्हे तो बना बनाया विराशत मिल गया है । ए कहीं सफल नहीं हो पाये तो यही सफल होने में लगे हैं।
   
      आज जो मैं देख रहा हूँ उसमें से बहुत लोगो का पीढ़ी नेतागिरी कर रही है उसी स्तर पर जिस स्तर पर वे कर रहें थे और जो आज भी उस भोज को खाने वाले हैं झूले लाल के परिवार के प्रति सहानुभूति रखते हैं ।

        अब मैं आपको यहाँ भंडारा के अंदर वाली घटना बताना चाहूँगा कि उस समय इशू प्रताप और विषु प्रताप वहाँ क्या कर रहा था । बैगर उस घटना के उजागर हुए सारी बात स्पष्ट हो नहीं पाएगी । उस समय झूले लाल के लड़के भंडारे में हि मूत्र त्याग कर रहे थे ।
         हमें यह घटना उन्हीं लोगों में से एक ने सुनाया था । अब आप सोच रहें होंगे कि सब ठीक है पर यह घटना को हमने आप सभी के साथ साझा क्यों किया । इसका कारण है कि झूले लाल के लड़कों को सारी सुविधा मिला फिर भी कहीं सफल न हो सके । उन्मे एसा कोई गुण नहीं जिसके लिए उन्हे जाना जाए सिर्फ कि वे झूले लाल के लड़के हैं । पर क्या मूत्र में एसा कोई गुण है जो लोगों को पीढ़ी दर पीढ़ी गुलाम बना सके । यह प्रश्न विचारनिए हैं । क्या आज जो लोग झूले लाल के लड़के में अपना नेता ढूंढ रहे हैं क्या वह उस मूत्र का प्रभाव है या जातिवाद ,वंशवाद या लोगों कि गुलाम मानसिकता का सूचक है ।

       इस पर हम आपका राय जानना चाहेंगे साथ में अगर कोई उस घटना का साक्षी हो या जनता हो तो उनका पुष्टि । तब तक के लिए आप सभी को नमन ।