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गुरुवार, 19 जनवरी 2017

* नेता जी की नेता गिरी *

* नेता जी की नेता गिरी *
हमारा भविष्यवाणी सत्य हो चुका है अंदरूनी मिस्टरी आगे है :-
उत्तर प्रदेश की घटना क्रम सभी विचारकों को सोचने को मजबूर कर रहा है । आप को क्या लग रहा है ! क्या मुलायम जी इतना लाचार थे, उनकी बनाईं हुई पार्टी और अपने नेताओं से सम्बन्ध इतना कमजोर था, जो उन्हें एक ही झटकें में छोड़ दिये। नहीं ऐसी बात नहीं है । अगर ऐसी बात है तो नेता जी को राजनीति से अब सन्यास ले लेनी चाहिए। यह सब नेता जी की नेता गिरी है। आप को विदित है पिछलें दो माह से मीडिया और सारे नेता सिर्फ उनके परिवार और पार्टी पर ही चर्चा कर रहें हैं। इसके उन्हें दो फायदे हो रहा या हुआ। पहली तो मुफ्त में उनकी सोच के अनुसार सभी जगह उनके और उनके चुनाव चिन्ह का ही चर्चा हुआ जो चुनावी परचार का एक हिस्सा है। दूसरी तरफ कोई भी आज तक उत्तर प्रदेश की बदहाली, शासन व्यवस्था, कानून व्यवस्था या विकाश पर कोई चर्चा नहीं हुई जो उन्हें आलोचना और अपने कमी से बचने का सुनहरा अवसर प्रदान किया या यू कहें ऐ अपने नीति में सफल रहें।
             यह सम्पूर्ण दंगल नेता जी की नेता गिरी था और है । वे अपने कुछ पुराने वफादार लोगों को स्वयं रुष्ट भी नहीं करना चाहते थे और अपने पुत्र को सत्ता के शीर्ष पर पहुंचने का रास्ता भी बनाना चाहते हैं। क्यूकी वे राजनीति गलियारे में जितनी ऊँचाई तक स्वयं जा सकते थे जा चुकें हैं। वे इस में सफल भी हो चुकें हैं।
      बिहार वाली चुनावी मिस्टरी उत्तर प्रदेश में भी चल रहा है। वही प्रशांत है जो दो धुर विरोधियों को मिला दिया और परिणाम आप देखें ही हैं। आज भले ही कुछ लोग इस परिणाम पर पचता रहें हैं। ऐसा नहीं की उस मिस्टरी में सपा और मुलायम जी का कोई सहयोग नहीं था। वे एक सोचीं समझी रणनीति के अंतर्गत उस गठबंधन से अलग रह कर उस गठबंधन को लाभ पहुंचाया था । आप सभी को मालूम होनी चाहिए की लालूजी और मुलायम जी में बेटी-रोटी का सम्बन्ध है जो सब से मजबूत बंधन माना जाता है। सपा को बिहार गठबंधन में  ६-८ सीटे मिल रहीं थी पर उसने वे सीटें न ले कर अलग से चुनाव लड़ा। इसका मुख्य कारण था उनका मिल-बैठ कर वोट बैंक की गणित बैठाना और इनका मुख्य मुदा था भाजपा को नुकसान पहुंचाना।
           आपको ज्ञात होगा बिहार में सपा ने सभी स्थानों से उम्मीदवार नहीं उतारें थे। वह सिर्फ ऐसे जगहों से उम्मीदवार उतारें जो जातिगत समीकरण पर भाजपा का वोट काटें और जहाँ भी उन्हें उस प्रकार का उम्मीदवार मिलें उसे इन्होंने अपना चुनाव चिन्ह दिया और वे अपने मिस्टरी में सफल भी हुए। उसी मिस्टरी के अंतर्गत और मुलायम जी के राजनीति कैरियर में और अवसर के लिए अखिलेश जी ने नीतिश जी और ममता दीदी  को दो सीटे देने का निमंत्रण दिया है, क्योंकि अगर ये दोनों उम्मीदवार खड़ा करते हैं तो ऐ सपा को नुकसान पहुंचायेंगे न की भाजपा को। इस मिस्टरी से अखिलेश जी मुलायम जी के राजनीति कैरियर में अभी और अवसर बनाएँ रखना चाह रहें हैं या यू कहें मुलायम जी भी ऐसा चाह रहें हैं।
          आपको मैं पहले ही बता चुका था की सपा नहीं टूटेगी और नहीं टूटी । नेता जी अपने नेतागिरी में अभी तक पूर्ण सफल हुए हैं।
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